Tuesday, May 4, 2010


तो क्या हुआ गर ये मंजिल नहीं मिली ...
मंजिले इस जहा में अभी बहोत है ...
देखे कितने कहर धाती है किस्मत ...
इन बाजुओं में जोर अभी बहोत है ..